स्कूलों की सघन चेकिंग के पहले दो दिनों में ही 4 अध्यापक रोड एक्सीडेंट का हुए शिकार

      लखनऊ। शिक्षक को जब तक कर्मचारी मान कर छापामार कार्यवाही करते हुए अनावश्यक बदनाम, अपमानित और शोषित किया जाएगा विश्व गुरु तो छोड़िए आज की स्थिति ही बनी रहे ये भी बेहद मुश्किल है ।

हो गयी सघन चेकिंग..????चेकिंग का पहला दिन और ले ली जान किसी परिवार के सबसे अहम सदस्य की। अब शायद कल ही बेसिक से विश्व-गुरु बनने लायक बच्चे शिक्षा प्राप्त करेंगे। सिवाय आंकड़ेबाजी के,इस सघन चेकिंग का कोई उद्देश्य नहीं रहा कभी।लेकिन देखकर दुःख होता है कि एक 35 वर्षीय शिक्षक की जान चली गयी। उसका पूरा परिवार बिखर गया।वो सड़क पर बिखरा सा पड़ा रहा,उसे अब कभी देरी न होगी विद्यालय के लिए।वो चला गया इस शोषित विभाग से दूर।

आज मानवीय संवेदनाओं को कुचलते हुए चेकिंग करते वक़्त 1 मिनट की देरी पर भी कार्यवाही की गई।

       सोचनीय शर्म है इस पूरे सिस्टम पर जो सिर्फ  एक टारगेटेड विभाग पर किसी अपराधी की भांति व्यवहारित करते हुए बाज की तरह टूटता है।दिलचस्प बात ये है कि चेक करने वाले लोग स्वयं आज तक कार्यालय समय से नहीं पहुँचे होंगे कभी लेकिन अपनी गाथाओं की दुदिम्भिनी ऐसे बजायेंगे मानो स्वयं में वो सभी अधिकारीगण पूर्ण हों।

चाहे कुछ भी हो जाये,स्वयं के जीवन पर बन आये,ऐसी तेजी कभी मत अपनाना कोई। ये विभाग, ये सरकार, ये देश, ये प्रदेश जिसमें भृष्टाचारी,मर्डरर,रेपिस्ट तक सलाखों के पीछे जाकर ससम्मान जेल से छूट आते हैं तो शिक्षक की मात्र 1 मिनट की देरी या विलम्ब पर कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।

जीवन रहेगा जब तभी आप लेट हो सकते हैं,यदि जीवन ही न रहा तो जल्दबाजी और देरी सब व्यर्थ है।कोई BEO, Even कोई BSA तक ने 2 आंसू नहीं बहाए होंगे उस उन्नाव के शिक्षक की असामयिक मृत्यु पर। चेकिंग के दिन सारी भावनाएं दरकिनार करके,किसी मिलिटेंट की भांति व्यवहार सिर्फ सिस्टम की कुंठा को शांत करने की खातिर किया जा रहा है।

ये दिन याद रखने लायक है जब शिक्षकों की जायज मांगे,जिसमें ब्लॉक ट्रांसफर,म्यूच्यूअल ट्रांसफर और अंतर्जनपदीय ट्रांसफर शामिल हैं,न जाने कितने सालों से बन्द पड़े हैं।न यहाँ दूरी का हिसाब,न ग्रामीण परिस्थितियों की सही जानकारी। बस आ गया आदेश और चल दिए अधिकारी,अपराधी को पकड़ने जैसे भाव लेकर।

अगर इतनी ही समस्या है तो सीधे गोली मारने के आदेश जारी कर दिए जाएं,2 मिनट की देरी पर 2 गोली सीने में मारी जाएंगी।बेचारे कुछ सहायक आज तक इंचार्ज का बोझा ढो रहे हैं,वेतन सहायक का लेकिन सजाएं एक हेड की दी जाती हैं।वेतन रोके जाते हैं और मिलती है सस्पेंड करने की धमकी।

सच में बेसिक शिक्षक, तुम महान हो और महान हैं इसके अधिकारी,जिन्हें इतने शोषण के बाद भी विभाग में सिर्फ अपराधी नजर आते हैं।

ईश्वर भला करें सभी का।

आज हर शिक्षक की आत्मा रो रही है आज हमारा एक साथी काल के गाल में समा गया ।न शिक्षक अपराधी है न शिक्षक भ्रष्ट है न चोर है फिर ये अधिकारी शिक्षकों की जान के पीछे आखिर पड़े क्यों है ??

हापुड़ के एक शिक्षक साथी दिवंगत हो गए

विद्यालय जाते समय रोड एक्सीडेंट हो गया वही इनके स्कूल में चैकिंग में इन्हें अनुपस्थित बताने की खबर प्राप्त हुई है।

India covid cases graph

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