सांप्रदायिक सद्भाव की मजबूत मिसाल। मुसलमानों ने हिंदू की अर्थी को कंधा देकर आखिरी रस्म अदा कराई।
बुलंदशहर, कोर्णाक एक ओर से शहर के एक हिंदू शख्स की मौत के बाद इसको कोई हिंदू कंधा देने नहीं पहुंचा तो क्षेत्र के मुसलमानों ने आगे बढ़कर इसकी आखिरी रस्म अदा कराई। आपसी मेलजोल और भाईचारे को पेश करने वाले इस काम की जनपद बुलंदशहर में ही नहीं बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश और भारतवर्ष में सम्मान और समर्थन की नजर से देखा जा रहा है। जब पूरे देश में संप्रदायिकता राजनेताओं के कारण हिंदू और मुस्लिम, मस्जिद और मंदिर जैसे मुद्दों पर उलझ कर रह गई है और एक दूसरे को सामने लाने के साथ-साथ दिलों में नफरत और जहर घोलने का काम कर रही है, ऐसे में बुलंदशहर के लोगों ने अपनी दूरदर्शिता तथा भाईचारे का सबूत देते एक मजबूत और शानदार मिसाल पेश की है।
बुलंद शहर के मोहल्ला साठा के गड्ढा के रहने वाले रवि शंकर की मौत हो गई थी, इंटर हाई गरीबी की हालत में जीने वाले परिवार के मुखिया की मौत पर लाख डाउन के चलते कोई रिश्तेदार नहीं पहुंच सका। सूचना मिलने के बावजूद कोई हिंदू संस्था अथवा संगठन भी मृतक की आखिरी रस्म अदा करने के लिए आगे नहीं आया। जिसके चलते मृतक परिवार के सामने अर्थी को श्मशान घाट तक लेकर जाने की समस्या खड़ी हो गई। थोड़ी देर के बाद रवि शंकर के घर में मोहल्ले की कुछ मुस्लिम नौजवान पहुंचे और उन्होंने परिजनों को भरोसा दिला दिया और कदम आगे बढ़ाते हुए इन्होंने पूरी तरह अर्थी तैयार करा कर नसीब कंधा दिया बल्कि शमशान घाट तक ले जाकर आखिर रस्म भी अदा कराई। वापस घर आ कर इन्होंने मृतक परिजनों को हर तरह से मदद का आश्वासन और भरोसा दिलाया। इस काम की पूरे देश के समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनल में कोई जगह न मिली सही परंतु सोशल मीडिया पर आपसी सद्भाव कि यह खबर तेजी के साथ बड़े पैमाने पर गश्त कर रही है।