मन की बात से अब काम नहीं चलने वाला। मोदी जी और योगी जी इस और ध्यान दें। लोकडाउन से पहले ऐसे लोगों का ख्याल रखकर कदम उठाया जाता।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री द्वारा 21 दिन के लोक डाउन की घोषणा किए जाने के बाद दूरदराज के क्षेत्रों और अनेक राज्यों से 2 जून की रोटी और पेट पालने के लिए एनसीआर, दिल्ली, हरियाणा पंजाब राज्यों में आकर मेहनत मजदूरी और नौकरी करने वाले लोगों के सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। और प्रधानमंत्री के द्वारा ऐसे लोगों की भलाई के लिए रिपोर्ट लिखे जाने तक कोई भी ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। जिसके चलते यह लोग पास में पैसा ना होने के बावजूद पैदल ही अपने अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है। अपने घरों तक यह किस तरह पहुंचेंगे यह पीड़ा भी इनके दिलो-दिमाग को कचोट रही है। याद रहे बड़ी संख्या में लोग बिहार बंगाल आसाम उड़ीसा राजस्थान छत्तीसगढ़ और झारखंड इत्यादि राज्यों से अपने परिवार के लालन-पालन और 2 जून की रोटी के लिए एनसीआर, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब का रुख करते हैं। लॉक डाउन के बाद यह बेचारे मजदूर वाहनों पर प्रतिबंध के चलते पैदल ही अपने अपने गुरु को चल दिए हैं। एनसीआर की सड़कों पर ऐसे लोगों का हुजूम बड़ी तादाद में दिखाई पड़ रहा है जो अपने सिर और कंधों पर गठरी और बैग लटकाए हुए हैं। इनमें बच्चे महिलाएं जवान और बूढ़े सभी आयु वर्ग के लोग शामिल है। कैन सरकार और उपरोक्त लोगों के राज्य सरकारों की ओर से भी इन बेबस मजदूरों को इनके अपने घरों तक पहुंचाने के लिए रिपोर्ट लिखे जाने तक किसी भी प्रकार के इंतजाम आज नहीं किए गए। और नहीं की भूख मिटाने की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाया गया है। कोरोनावायरस से अपना जीवन बचाने के लिए पैदल और भूखे ही अपने घरों को लौट रहे हैं।
       माननीय प्रधानमंत्री जी को, गृह मंत्री जी को और सभी प्रदेश की सरकारों को लुक डाउन से पहले मिल बैठकर सामूहिक रूप से रूपरेखा तैयार करनी चाहिए थी। जो नहीं की गई। जिसके चलते यह बहुत बड़ी समस्या आज गरीब मजदूरों के सामने पैदा हो गई है। प्रधानमंत्री जी अब मन की बात करने से काम नहीं चलने वाला कोई ठोस और प्रभावी कदम इन लोगों को कोरोनावायरस और भूखे मरने से बचाने की दिशा में उठाइए और राजधर्म निभाईए। अगर आपने इस दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए तो इन बेचारे मजदूरों में से बहुत से लोग कोरोनावायरस की बजाए भूख से मर जाएंगे।


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