कुछ लोग को सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं बल्कि प्यार और मोहब्बत की जरूरत है।

कुछ लोग को सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं बल्कि प्यार और मोहब्बत की जरूरत है।
इन दिनों सोशल डिस्टेंसिंग की बातें बड़े जोर शोर के साथ सामाजिक स्तर पर और प्रशासनिक स्तर पर की जा रही है, जिनको लेकर में अकेला ही नहीं बल्कि समाज का एक बड़ा तबका उलझन का शिकार है। क्योंकि आज तक सामाजिक स्तर पर हमें जो बताया और सिखाया गया है की दीन दुखियों की आगे बढ़ कर जितना संभव हो सके उतना ज्यादा से ज्यादा मदद करें।। यह सोच और बातें हमारे दिल और दिमाग में ही नहीं हमारे खून में शामिल है, अब आप ही बताइए ऐसी हालत में हम अपने परिवार पड़ोस और गांव के रिश्तो को किस तरह भूल जाएं या नजरअंदाज करें, कि हमारा एक भाई या हमारा पड़ोसी या गांव का कोई भी आदमी कोरोनावायरस जैसी जानलेवा बीमारी मैं फंस कर अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे ले रहा है, और हम उसकी तरफ पल्ट कन्हैया मुड़ कर भी न देखें। जबकि सच्चाई यह है कि ऐसे वक्त में अगर हमें अपनी जान की बाजी लगाकर पी अपने भाई की जान बचाने के लिए आ गया ना पड़े तो हम बिना एक क्षण देर किए इंसानियत के नाते सबसे पहले आगे आए।
        सच मानिए सोशल गाइडिंग की इसे डिस्टेंसिंग सोच नेहमें जिंदगी की एक अजीब दोराहे पर लाख-लाख लड़ाई किया है कि हम अपनों को तड़पता, मरता देखते रहे उसकी ओर से आंखें मूंदे रहे, और उसकी मदद को आगे ना आए। कोरोनावायरस के घातक परिणामों को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग की वकालत की जा सकती है, इस पर विचार किया जा सकता है और करना भी चाहिए, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने भाई, ओसिया गांव वाले को यूं तड़पता हुआ देखकर अनजान खामोश तमाशा बने रहे, इसलिए इस सिलसिले में मेरा अपना माना है ऐसी स्थिति में हम बीमारी से बचाव के तमाम संसाधनों से सुसज्जित होकर अपने इस भाई पड़ोसी और गांव वाले की मदद के लिए आगे आए। क्योंकि अगर हम किसी की मदद करेंगे तो कल हमारी भी कोई मदद करने वाला हो सकता है, और अगर ऐसे मौके पर हमने किसी की मदद नहीं की तो आने वाला कल हमारे लिए इससे भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।
          संकट की इस घड़ी में मेरी तमाम देश वासियों से अपील है,कि इस संकट के समय अपने जानकार लोगों से संपर्क में रहें उन्हें अपना साथ होने का यकीन दिलाएं। लेकिन इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि पीड़ित या संक्रमित ऐसे किसी भी व्यक्ति की मदद करते वक्त पहले अपने आप को इस बीमारी से बचाव के लिए खुद को पूरी तरह तैयार करले तब कोई कदम मदद के लिए आगे बढ़ाएं। अगर हमने इन सब बातों का ध्यान रखा तो यह हम एक अच्छा और स्वस्थ समाज बनाने में अपना योगदान देने वाले माने जाएंगे अन्यथा नहीं।


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